दिनांक : 13 नवम्बर 2025

दिनांक : 13 नवम्बर 2025

आज का पंचांग   


सूर्योदय का समय : प्रातः 06:42

सूर्यास्त का समय : सायं 05:28

 

चंद्रोदय का समय : रात्रि 01:20 (14 नवम्बर)

चंद्रास्त का समय : दोपहर 01:41


तिथि संवत :-

दिनांक -  13 नवम्बर 2025

मास - मार्गशीर्ष

पक्ष - कृष्ण पक्ष

तिथि - नवमी गुरुवार रात्रि 11:33 तक रहेगी

अयन -  सूर्य दक्षिणायण

ऋतु -  हेमन्त ऋतु

विक्रम संवत - 2082

शाके संवत - 1947

सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-

नक्षत्र - मघा नक्षत्र सायं 07:38 तक रहेगा इसके बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा

योग - ब्रह्म योग प्रातः 06:58 तक रहेगा इसके बाद ऐन्द्र योग रहेगा

करण - तैतिल करण प्रातः 11:10 तक रहेगा इसके बाद गर करण रहेगा

ग्रह विचार :-

सूर्यग्रह - तुला

चंद्रग्रह - सिंह

मंगलग्रह - वृश्चिक

बुधग्रह - वृश्चिक

गुरूग्रह - कर्क

शुक्रग्रह - तुला

शनिग्रह - मीन

राहु - कुम्भ

केतु - सिंह राशि में स्थित है

* शुभ समय *

अभिजित मुहूर्त :-

प्रातः 11:44 से दोपहर 12:27 तक  रहेगा

विजय मुहूर्त :-

दोपहर 01:53 से दोपहर 02:36 तक  रहेगा

गोधूलि मुहूर्त :-

सायं 05:28 से सायं 05:55 तक  रहेगा

निशिता मुहूर्त :-

रात्रि 11:39 से रात्रि 12:32 तक  रहेगा

ब्रह्म मुहूर्त :-

प्रातः 04:56 से प्रातः 05:49 तक रहेगा


* अशुभ समय * 

राहुकाल :-

दोपहर 01:26 से दोपहर 02:47 तक  रहेगा

गुलिक काल :-

प्रातः 09:24 से प्रातः 10:44 तक  रहेगा

यमगण्ड :-

प्रातः 06:42 से प्रातः 08:03 तक  रहेगा

दूमुहूर्त :-

प्रातः 10:18 से प्रातः 11:01 तक  रहेगा

दोपहर 02:36 से दोपहर 03:19 तक  रहेगा

वर्ज्य :-

प्रातः 07:06 से प्रातः 08:47 तक  रहेगा

प्रातः 04:12 (14 नवम्बर) से प्रातः 05:55 तक  रहेगा

गण्ड मूल :-

प्रातः 06:42 से सायं 07:38 तक  रहेगा

दिशाशूल :-

दक्षिण दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो तिल,गुड़ या गुड़ के चावल खाकर यात्रा कर सकते है

चौघड़िया मुहूर्त :-

दिन का चौघड़िया 

प्रातः 06:42 से 08:03 तक शुभ का

प्रातः 08:03 से 09:24 तक रोग का

प्रातः 09:24 से 10:44 तक उद्वेग का

प्रातः 10:44 से 12:05 तक चर का

दोपहर 12:05 से 01:26 तक लाभ का

दोपहर 01:26 से 02:47 तक अमृत का

दोपहर बाद 02:47 से 04:08 तक काल का

सायं 04:08 से 05:28 तक शुभ का चौघड़िया  रहेगा


रात का चौघड़िया

सायं 05:28 से 07:08 तक अमृत का

रात्रि 07:08 से 08:47 तक चर का

रात्रि 08:47 से 10:26 तक रोग का

रात्रि 10:26 से 12:06 तक काल का

अधोरात्रि 12:06 से 01:45 तक लाभ का

रात्रि 01:45 से 03:24 तक उद्वेग का

प्रातः (कल) 03:24 से 05:04 तक शुभ का

प्रातः (कल) 05:04 से 06:43 तक अमृत का चौघड़िया रहेगा

 आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-  


समय
  पाया  
  नक्षत्र  
  राशि  
जन्माक्षर

12:48 am
से
07:01 am

रजतमघा
2
चरण
सिंहमी
 
07:02 am
से
01:18 pm

 
रजत मघा
3
चरण
 सिंहमू

01:19 pm
से
07:38 pm


रजत मघा
4
चरण
सिंहमे

07:39 pm
से
02:00 am
(14 नवम्बर)
रजत पूर्वाफाल्गुनी
1
चरण
सिंहमो


आज विशेष :-

नवमी तिथि के स्वामी दुर्गा माता जी की पूजा-अर्चना करके उनको खुश करना चाहिए  जिससे माता दुर्गा जी की अनुकृपा मनुष्य पर बनी रहे,जीवन में धन-धान्य का भंडार भरा रहे और सभी तरह के कामों में किसी तरह की बाधा नहीं आवे।

मघा नक्षत्र में पितरों का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है तथा पितरों का पूजन करके ब्राह्मण भोजन कराएं उन्हें दक्षिणा दे तीर्थस्थान पर जाकर तर्पण करें तो पितृ प्रसन्न होते है

आज ब्रह्म योग में तांबा दान करना शुभ फलदायी होता है

गुरुवार को बृहस्पति भगवान का पीले गंध पुष्प पीतांबर से पूजन कर ब्राह्मणों को पीली गाय के घी में बनाए पीले धान्य के प्रदार्थो का भोजन कराकर स्वयं भोजन करें और ब्राह्मणों को दक्षिणा दे तो अनिष्ट दूर होती है तथा पारिवारिक सुख-समृध्दि मिलती है 


* गुरुवार व्रत की कथा *

पूजा विधि :-

इस दिन बृहस्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है । दिन में एक समय ही भोजन करें । पीले वस्त्र धारण करें ।भोजन भी चने की दाल का होना चाहिएनमक नही खाना चाहिए । पीले रंग के फुलचने की दालपीले कपड़े तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए। पूजन के पश्चात् कथा सुननी चाहिए । इस व्रत को करने से बृहस्पति जी अति प्रसन्न होते है तथा धन और विद्या का लाभ होता है । स्त्रियो के लिए यह व्रत अति आवश्यक है । इस व्रत मे केले का पूजन होता है ।

कथा प्रारम्भ :-

किसी गांव मे एक साहूकार रहता थाजिसके घर मे अननवस्त्र और धन किसी की कोई कमी नही थीपरन्तु उसकी स्त्री बहुत ही कृपण थी। किसी कसी भिक्षाथी को कुछ नही देतीसारे दिन घर के कामकाज मे लगी रहती एक समय एक साधु-महात्मा बृहस्पतिवार के दिन उसके द्वार पर आये और भिक्षा की याचना की । स्त्री उस समय घर के आंगन को लीप रही थी

इस कारण साधु महाराज से कहने लगी कि महाराज इस समय तो मै घर लीप रही हूँ आपको कुछ नही दे सकतीफिर किसी अवकाश समय आना । साधु महात्मा खाली हाथ चले गए। कुछ दिन के पश्चात् वही साधु महात्मा आए उसी तरह भिक्षा मांगी । साहूकारनी उस समय लड़के को खिला रही थी । कहने लगी- महाराज मै क्या करूँ अवकाश नही हैइसलिए आपको भिक्षा नही दे सकती । 

तीसरी बार महात्मा आए तो उसने उन्हे उसी तरह टालना चाहा परन्तु महात्मा जी कहने लगे कि यदि तुमको बिल्कुल ही अवकाश हो जाए तो क्या मुझको दोगी साहुकारनी कहने लगी कि हाँ महाराज यदि ऐसा हो जाए तो आपकी बड़ी कृपा होगी । साधु- महात्मा जी कहने लगे कि अच्छा मै एक उपाय बताता हूँ। तुम बृहस्पतिवार को दिन चढ़े उठो और सारे घर मे झाडू लगा कर कूड़ा एक कोने में जमा करके रख दो । घर मे चौका इत्यादि मन लगाओ। फिर स्नान आदि करके घर वालो से कह दोउस दिन सब हजामत अवश्य बनवाये । 

रसोई बनाकर चूल्हे के पीछे रखा करोसामने कभी रक्खो । सांयकाल को अन्धेरा होने के बाद दीपक जलाओ तथा बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र मत धारण करोन पीले रंग की चीजो का भोजन करो । यदि ऐसा करोगे तो तुमको घर का कोई काम नही करना पड़ेगा । साहूकारनी ने ऐसा ही किया । बृहस्पतिवार को दिन चढे उठीझाडू लगाकर कूड़े को घर के एक कोने में जमा करके रख दिया । पुरूषो ने हजामत बनवाई । भोजन बनवाकर चूल्हे के पीछे रखा । 

वह सब बृहस्पतिवारो को ऐसा ही करती रही । अब कुछ काल : बाद उसके घर मे खाने को दाना न रहा । थोड़े दिनो मे महात्मा फिर आए और भिक्षा मांगी परन्तु सेठानी ने कहा महाराज मेरे घर मे खाने को अन्न् नही हैआपको क्या दे सकती हूँ । तब महात्मा ने कहा कि जब तुम्हारे घर मे सब कुछ था तब भी कुछ नही देती थी। अब पूरा-पूरा अवकाश है तब भी कुछ नही दे रही होतुम क्या चाहती हो वह कहो 

तब सेठानी ने हाथ जोड़ कर कहा की महाराज अब कोई ऐसा उपाय बताओ कि मेरे पहले जैसा धन-धान्य हो जाय । अब मै प्रतिज्ञा करती हूँ कि अवश्यमेव आप जैसा कहेगे वैसा ही करूंगी । तब महात्मा जी बोले - "बृहस्पतिवार को प्रात: काल उठकर स्नानादि से निवृत हो घर को गौ के गोबर से लीपो तथा घर के पुरुष हजामत न बनवाये । 

भूखो को अन्न-जल देती रहा करो । ठीक सांय काल दीपक जलाओ । यदि ऐसा करोगी तो तुम्हारी सब मनोकामनाएं भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से पूर्ण होगी। सेठानी ने ऐसा ही किया और उसके घर मे धन-धान्य वैसा ही होगा जैसा पहले था । इस प्रकार भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से अनेक प्रकार के सुख भोगकर दीर्घकाल तक जीवित रही !               

नोट :-  दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है

दिनांक : 12 नवम्बर 2025

दिनांक : 12 नवम्बर 2025

आज का पंचांग   


सूर्योदय का समय : प्रातः 06:41

सूर्यास्त का समय : सायं 05:29

 

चंद्रोदय का समय : रात्रि 12:22 (13 नवम्बर)

चंद्रास्त का समय : दोपहर 01:09


तिथि संवत :-

दिनांक - 12 नवम्बर 2025

मास - मार्गशीर्ष

पक्ष - कृष्ण पक्ष

तिथि - अष्टमी बुधवार रात्रि 10:58 तक रहेगी

अयन -  सूर्य दक्षिणायण

ऋतु -  हेमन्त ऋतु

विक्रम संवत - 2082

शाके संवत - 1947

सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-

नक्षत्र - अश्लेशा नक्षत्र सायं 06:35 तक रहेगा इसके बाद मघा नक्षत्र रहेगा

योग - शुक्ल योग प्रातः 08:02 तक रहेगा इसके बाद ब्रह्म योग रहेगा

करण - बालव करण प्रातः 10:57 तक रहेगा इसके बाद कौलव करण रहेगा

ग्रह विचार :-

सूर्यग्रह - तुला

चंद्रग्रह - कर्क

मंगलग्रह - वृश्चिक

बुधग्रह - वृश्चिक

गुरूग्रह - कर्क

शुक्रग्रह - तुला

शनिग्रह - मीन

राहु - कुम्भ

केतु - सिंह राशि में स्थित है

* शुभ समय *

अभिजित मुहूर्त :-

आज अभिजित मुहूर्त नहीं है

विजय मुहूर्त :-

दोपहर 01:53 से दोपहर 02:36 तक  रहेगा

गोधूलि मुहूर्त :-

सायं 05:29 से सायं 05:55 तक  रहेगा

निशिता मुहूर्त :-

रात्रि 11:39 से रात्रि 12:32 तक  रहेगा

ब्रह्म मुहूर्त :-

प्रातः 04:56 से प्रातः 05:49 तक रहेगा


* अशुभ समय * 

राहुकाल :-

दोपहर 12:05 से दोपहर 01:26 तक  रहेगा

गुलिक काल :-

प्रातः 10:44 से दोपहर 12:05 तक  रहेगा

यमगण्ड :-

प्रातः 08:02 से प्रातः 09:23 तक  रहेगा

दूमुहूर्त :-

प्रातः 11:44 से दोपहर 12:27 तक  रहेगा

वर्ज्य :-

प्रातः 07:15 से प्रातः 08:52 तक  रहेगा

गण्ड मूल :-

संपूर्ण दिन तक  रहेगा

दिशाशूल :-

उत्तर दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो दूध  पीकर यात्रा कर सकते है

चौघड़िया मुहूर्त :-

दिन का चौघड़िया 

प्रातः 06:41 से 08:02 तक लाभ का

प्रातः 08:02 से 09:23 तक अमृत का

प्रातः 09:23 से 10:44 तक काल का

प्रातः 10:44 से 12:05 तक शुभ का

दोपहर 12:05 से 01:26 तक रोग का

दोपहर 01:26 से 02:47 तक उद्वेग का

दोपहर बाद 02:47 से 04:08 तक चर का

सायं 04:08 से 05:29 तक लाभ का चौघड़िया  रहेगा


रात का चौघड़िया

सायं 05:29 से 07:08 तक उद्वेग का

रात्रि 07:08 से 08:47 तक शुभ का

रात्रि 08:47 से 10:26 तक अमृत का

रात्रि 10:26 से 12:05 तक चर का

अधोरात्रि 12:05 से 01:45 तक रोग का

रात्रि 01:45 से 03:24 तक काल का

प्रातः (कल) 03:24 से 05:03 तक लाभ का

प्रातः (कल) 05:03 से 06:42 तक उद्वेग का चौघड़िया रहेगा

 आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-  


समय
  पाया  
  नक्षत्र  
  राशि  
जन्माक्षर
 
06:21 am
से
12:26 pm
 
रजत अश्लेषा
3
चरण
 कर्कडे

12:27 pm  
से
06:35 pm

रजतअश्लेषा
4
चरण
कर्कडो

06:36 pm
से
12:47 am
(13 नवम्बर)


रजतमघा
1
चरण
सिंहमा


आज विशेष :-

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी की पूजा-अर्चना करके उनको खुश करना चाहिए।जिससे भगवान भोलेनाथ जी की अनुकृपा मनुष्य पर बनी रहेै और सभी तरह के कामों में किसी तरह की बाधा नहीं आवे।

अश्लेषा नक्षत्र में सर्पो का पूजन करने से सर्प भय नहीं होता है

आज शुक्ल योग में लोहा दान करना शुभ फलदायी होता है 

आज बुधवार को बुध भगवान की मूर्ति का गंध पुष्पादि से पूजन करें सफेद वस्त्र धारण कर गुड़ दही और भात का नैवेघ अर्पण कर उन्ही पदार्थो का ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो बुध जनित दोष दूर होते है 


* बुधवार  व्रत की कथा *

* पूजा विधि :-

ग्रह शान्ति तथा सर्व-सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए । इस व्रत मे रात दिन में एक बार भोजन ही करना चाहिए । इस व्रत के समय हरी वस्तुओ का उपयोग करना श्रेष्ठ है । इस व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धुपबेल-पत्र आदि से करना चाहिए।साथ ही कथा सुन कर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए। बीच मे नही जाना चाहिए ।

* कथा प्रारम्म :-

एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपनी ससुराल गया। वहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद सास-ससुर से विदा करने के लिए कहा। किन्तु सब ने कहा कि आज बुधवार है आज के दिन गमन नही करते है । वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना ओर हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। रहा मे उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति को कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है। 

तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया । जैसे ही वह पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठकि अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा मे वह व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ मे बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति बोला यह मेरी पत्नी है। मै अभी-अभी सुसराल से विदा करा कर ला रहा हूं। 

वे दोनो व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे । स्त्री से पूछातुम्हारा असली पति कौन सा है तब पत्नी शान्त ही रही क्योकि दोनो एक जैसे थे वह किसे अपना पति कहे । वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे परमेश्वर यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नही करना था । तूने किसी की बात नही मानी । यह सब लीला बुधदेव भगवान की है। 

उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी । तब बुधदेव जी अनतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनो पति पत्नि नियमपूर्वक करने लगे । जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई दोष नही लगता हैउसको सर्व प्रकार से सुखो की प्राप्ति होती है

नोट :-  दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है