दिनांक : 30 अक्टूबर 2025

दिनांक : 30 अक्टूबर 2025

आज का पंचांग   


सूर्योदय का समय : प्रातः 06:32

सूर्यास्त का समय : सायं 05:37

 

चंद्रोदय का समय : दोपहर 01:42

चंद्रास्त का समय : रात्रि 12:42 (31 अक्टूबर)


तिथि संवत :-

दिनांक -  30 अक्टूबर 2025

मास - कार्तिक

पक्ष - शुक्ल पक्ष

तिथि - अष्टमी गुरुवार प्रातः 10:06 तक रहेगी

अयन -  सूर्य दक्षिणायण

ऋतु -  शरद ऋतु

विक्रम संवत - 2082

शाके संवत - 1947

सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-

नक्षत्र - श्रवण नक्षत्र सायं 06:33 तक रहेगा इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा

योग - शूल योग प्रातः 07:21 तक रहेगा इसके बाद गण्ड योग रहेगा

करण - बव करण प्रातः 10:06 तक रहेगा इसके बाद बालव करण रहेगा

ग्रह विचार :-

सूर्यग्रह - तुला

चंद्रग्रह - मकर

मंगलग्रह - वृश्चिक

बुधग्रह - वृश्चिक

गुरूग्रह - कर्क

शुक्रग्रह - कन्या

शनिग्रह - मीन

राहु - कुम्भ

केतु - सिंह राशि में स्थित है

* शुभ समय *

अभिजित मुहूर्त :-

प्रातः 11:42 से दोपहर 12:27 तक  रहेगा

रवि योग :-

सायं 06:33 से प्रातः 06:32 (31 अक्टूबर) तक  रहेगा

विजय मुहूर्त :-

दोपहर 01:55 से दोपहर 02:40 तक  रहेगा

गोधूलि मुहूर्त :-

सायं 05:37 से सायं 06:03 तक  रहेगा

निशिता मुहूर्त :-

रात्रि 11:39 से रात्रि 12:31 तक  रहेगा

ब्रह्म मुहूर्त :-

प्रातः 04:48 से प्रातः 05:40 तक रहेगा


* अशुभ समय * 

राहुकाल :-

दोपहर 01:28 से दोपहर 02:51 तक  रहेगा

गुलिक काल :-

प्रातः 09:18 से प्रातः 10:41 तक  रहेगा

यमगण्ड :-

प्रातः 06:32 से प्रातः 07:55 तक  रहेगा

दूमुहूर्त :-

प्रातः 10:14 से प्रातः 10:58 तक  रहेगा

दोपहर 02:40 से दोपहर 03:24 तक  रहेगा

वर्ज्य :-

रात्रि 10:36 से रात्रि 12:13 तक  रहेगा

दिशाशूल :-

दक्षिण दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो तिल,गुड़ या गुड़ के चावल खाकर यात्रा कर सकते है

चौघड़िया मुहूर्त :-

दिन का चौघड़िया 

प्रातः 06:32 से 07:55 तक शुभ का

प्रातः 07:55 से 09:18 तक रोग का

प्रातः 09:18 से 10:41 तक उद्वेग का

प्रातः 10:41 से 12:05 तक चर का

दोपहर 12:05 से 01:28 तक लाभ का

दोपहर 01:28 से 02:51 तक अमृत का

दोपहर बाद 02:51 से 04:14 तक काल का

सायं 04:14 से 05:37 तक शुभ का चौघड़िया  रहेगा


रात का चौघड़िया

सायं 05:37 से 07:14 तक अमृत का

रात्रि 07:14 से 08:51 तक चर का

रात्रि 08:51 से 10:28 तक रोग का

रात्रि 10:28 से 12:05 तक काल का

अधोरात्रि 12:05 से 01:42 तक लाभ का

रात्रि 01:42 से 03:19 तक उद्वेग का

प्रातः (कल) 03:19 से 04:55 तक शुभ का

प्रातः (कल) 04:55 से 06:32 तक अमृत का चौघड़िया रहेगा

 आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-  


समय
  पाया  
  नक्षत्र  
  राशि  
जन्माक्षर
 
06:08 am
से
12:21 pm
 
ताम्र श्रवण
3
चरण
 मकरखे

12:22 pm  
से
06:33 pm

ताम्रश्रवण
4
चरण
मकरखो

06:34 pm
से
12:42 am
(31 अक्टूबर)


ताम्रधनिष्ठा
1
चरण
मकरगा


आज विशेष :-

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी की पूजा-अर्चना करके उनको खुश करना चाहिए।जिससे भगवान भोलेनाथ जी की अनुकृपा मनुष्य पर बनी रहेै और सभी तरह के कामों में किसी तरह की बाधा नहीं आवे।

श्रवण नक्षत्र में भगवान विष्णु का उत्तम प्रकार के गंध फल फूल दूध दही धूप व दीप आदि से पूजन कर व्रत करें तो इच्छित सफलता मिलती है

आज शूल योग में चावल दान करना शुभ फलदायी होता है

गुरुवार को बृहस्पति भगवान का पीले गंध पुष्प पीतांबर से पूजन कर ब्राह्मणों को पीली गाय के घी में बनाए पीले धान्य के प्रदार्थो का भोजन कराकर स्वयं भोजन करें और ब्राह्मणों को दक्षिणा दे तो अनिष्ट दूर होती है तथा पारिवारिक सुख-समृध्दि मिलती है 


* गुरुवार व्रत की कथा *

पूजा विधि :-

इस दिन बृहस्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है । दिन में एक समय ही भोजन करें । पीले वस्त्र धारण करें ।भोजन भी चने की दाल का होना चाहिएनमक नही खाना चाहिए । पीले रंग के फुलचने की दालपीले कपड़े तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए। पूजन के पश्चात् कथा सुननी चाहिए । इस व्रत को करने से बृहस्पति जी अति प्रसन्न होते है तथा धन और विद्या का लाभ होता है । स्त्रियो के लिए यह व्रत अति आवश्यक है । इस व्रत मे केले का पूजन होता है ।

कथा प्रारम्भ :-

किसी गांव मे एक साहूकार रहता थाजिसके घर मे अननवस्त्र और धन किसी की कोई कमी नही थीपरन्तु उसकी स्त्री बहुत ही कृपण थी। किसी कसी भिक्षाथी को कुछ नही देतीसारे दिन घर के कामकाज मे लगी रहती एक समय एक साधु-महात्मा बृहस्पतिवार के दिन उसके द्वार पर आये और भिक्षा की याचना की । स्त्री उस समय घर के आंगन को लीप रही थी

इस कारण साधु महाराज से कहने लगी कि महाराज इस समय तो मै घर लीप रही हूँ आपको कुछ नही दे सकतीफिर किसी अवकाश समय आना । साधु महात्मा खाली हाथ चले गए। कुछ दिन के पश्चात् वही साधु महात्मा आए उसी तरह भिक्षा मांगी । साहूकारनी उस समय लड़के को खिला रही थी । कहने लगी- महाराज मै क्या करूँ अवकाश नही हैइसलिए आपको भिक्षा नही दे सकती । 

तीसरी बार महात्मा आए तो उसने उन्हे उसी तरह टालना चाहा परन्तु महात्मा जी कहने लगे कि यदि तुमको बिल्कुल ही अवकाश हो जाए तो क्या मुझको दोगी साहुकारनी कहने लगी कि हाँ महाराज यदि ऐसा हो जाए तो आपकी बड़ी कृपा होगी । साधु- महात्मा जी कहने लगे कि अच्छा मै एक उपाय बताता हूँ। तुम बृहस्पतिवार को दिन चढ़े उठो और सारे घर मे झाडू लगा कर कूड़ा एक कोने में जमा करके रख दो । घर मे चौका इत्यादि मन लगाओ। फिर स्नान आदि करके घर वालो से कह दोउस दिन सब हजामत अवश्य बनवाये । 

रसोई बनाकर चूल्हे के पीछे रखा करोसामने कभी रक्खो । सांयकाल को अन्धेरा होने के बाद दीपक जलाओ तथा बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र मत धारण करोन पीले रंग की चीजो का भोजन करो । यदि ऐसा करोगे तो तुमको घर का कोई काम नही करना पड़ेगा । साहूकारनी ने ऐसा ही किया । बृहस्पतिवार को दिन चढे उठीझाडू लगाकर कूड़े को घर के एक कोने में जमा करके रख दिया । पुरूषो ने हजामत बनवाई । भोजन बनवाकर चूल्हे के पीछे रखा । 

वह सब बृहस्पतिवारो को ऐसा ही करती रही । अब कुछ काल : बाद उसके घर मे खाने को दाना न रहा । थोड़े दिनो मे महात्मा फिर आए और भिक्षा मांगी परन्तु सेठानी ने कहा महाराज मेरे घर मे खाने को अन्न् नही हैआपको क्या दे सकती हूँ । तब महात्मा ने कहा कि जब तुम्हारे घर मे सब कुछ था तब भी कुछ नही देती थी। अब पूरा-पूरा अवकाश है तब भी कुछ नही दे रही होतुम क्या चाहती हो वह कहो 

तब सेठानी ने हाथ जोड़ कर कहा की महाराज अब कोई ऐसा उपाय बताओ कि मेरे पहले जैसा धन-धान्य हो जाय । अब मै प्रतिज्ञा करती हूँ कि अवश्यमेव आप जैसा कहेगे वैसा ही करूंगी । तब महात्मा जी बोले - "बृहस्पतिवार को प्रात: काल उठकर स्नानादि से निवृत हो घर को गौ के गोबर से लीपो तथा घर के पुरुष हजामत न बनवाये । 

भूखो को अन्न-जल देती रहा करो । ठीक सांय काल दीपक जलाओ । यदि ऐसा करोगी तो तुम्हारी सब मनोकामनाएं भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से पूर्ण होगी। सेठानी ने ऐसा ही किया और उसके घर मे धन-धान्य वैसा ही होगा जैसा पहले था । इस प्रकार भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से अनेक प्रकार के सुख भोगकर दीर्घकाल तक जीवित रही !               

नोट :-  दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है