दिनांक : 28 मई 2025
आज का पंचांग
सूर्योदय का समय : प्रातः 05:25
सूर्यास्त का समय : सायं 07:12
चंद्रोदय का समय : प्रातः 06:03
चंद्रास्त का समय : रात्रि 08:59
तिथि संवत :-
दिनांक - 28 मई 2025
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि - द्वितीया बुधवार रात्रि 01:54 तक रहेगी
अयन - सूर्य उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म ऋतु
विक्रम संवत - 2082
शाके संवत - 1947
सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-
नक्षत्र - मृगशिरा नक्षत्र रात्रि 12:29 तक रहेगा इसके बाद आर्द्रा नक्षत्र रहेगा
योग - धृति योग सायं 07:09 तक रहेगा इसके बाद शूल योग रहेगा
करण - बालव करण दोपहर 03:25 तक रहेगा इसके बाद कौलव करण रहेगा
ग्रह विचार :-
सूर्यग्रह - वृष
चंद्रग्रह - वृष
मंगलग्रह - कर्क
बुधग्रह - वृष
गुरूग्रह - मिथुन
शुक्रग्रह - मीन
शनिग्रह - मीन
राहु - कुम्भ
केतु - सिंह राशि में स्थित है
* शुभ समय *
अभिजित मुहूर्त :-
आज अभिजित मुहूर्त नहीं है
सर्वार्थ सिद्धि योग :-
प्रातः 05:25 से रात्रि 12:29 तक रहेगा
विजय मुहूर्त :-
दोपहर 02:37 से दोपहर 03:32 तक रहेगा
गोधूलि मुहूर्त :-
सायं 07:11 से सायं 07:32 तक रहेगा
निशिता मुहूर्त :-
रात्रि 11:58 से रात्रि 12:39 तक रहेगा
ब्रह्म मुहूर्त :-
प्रातः 04:03 से प्रातः 04:44 तक रहेगा
तिथि संवत :-
दिनांक - 28 मई 2025
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि - द्वितीया बुधवार रात्रि 01:54 तक रहेगी
अयन - सूर्य उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म ऋतु
विक्रम संवत - 2082
शाके संवत - 1947
सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-
नक्षत्र - मृगशिरा नक्षत्र रात्रि 12:29 तक रहेगा इसके बाद आर्द्रा नक्षत्र रहेगा
योग - धृति योग सायं 07:09 तक रहेगा इसके बाद शूल योग रहेगा
करण - बालव करण दोपहर 03:25 तक रहेगा इसके बाद कौलव करण रहेगा
ग्रह विचार :-
सूर्यग्रह - वृष
चंद्रग्रह - वृष
मंगलग्रह - कर्क
बुधग्रह - वृष
गुरूग्रह - मिथुन
शुक्रग्रह - मीन
शनिग्रह - मीन
राहु - कुम्भ
केतु - सिंह राशि में स्थित है
* शुभ समय *
अभिजित मुहूर्त :-
आज अभिजित मुहूर्त नहीं है
सर्वार्थ सिद्धि योग :-
प्रातः 05:25 से रात्रि 12:29 तक रहेगा
विजय मुहूर्त :-
दोपहर 02:37 से दोपहर 03:32 तक रहेगा
गोधूलि मुहूर्त :-
सायं 07:11 से सायं 07:32 तक रहेगा
निशिता मुहूर्त :-
रात्रि 11:58 से रात्रि 12:39 तक रहेगा
ब्रह्म मुहूर्त :-
प्रातः 04:03 से प्रातः 04:44 तक रहेगा
* अशुभ समय *
राहुकाल :-
दोपहर 12:19 से दोपहर 02:02 तक रहेगा
गुलिक काल :-
प्रातः 10:35 से दोपहर 12:19 तक रहेगा
यमगण्ड :-
प्रातः 07:08 से प्रातः 08:52 तक रहेगा
दूमुहूर्त :-
प्रातः 11:51 से दोपहर 12:46 तक रहेगा
वर्ज्य :-
प्रातः 07:53 से परथ 09:20 तक रहेगा
दिशाशूल :-
उत्तर दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो दूध पीकर यात्रा कर सकते है
चौघड़िया मुहूर्त :-
दिन का चौघड़िया
प्रातः 05:25 से 07:08 तक लाभ का
प्रातः 07:08 से 08:52 तक अमृत का
प्रातः 08:52 से 10:35 तक काल का
प्रातः 10:35 से 12:19 तक शुभ का
दोपहर 12:19 से 02:02 तक रोग का
दोपहर 02:02 से 03:46 तक उद्वेग का
दोपहर बाद 03:46 से 05:29 तक चर का
सायं 05:29 से 07:12 तक लाभ का चौघड़िया रहेगा
* अशुभ समय *
राहुकाल :-
दोपहर 12:19 से दोपहर 02:02 तक रहेगा
गुलिक काल :-
प्रातः 10:35 से दोपहर 12:19 तक रहेगा
यमगण्ड :-
प्रातः 07:08 से प्रातः 08:52 तक रहेगा
दूमुहूर्त :-
प्रातः 11:51 से दोपहर 12:46 तक रहेगा
वर्ज्य :-
प्रातः 07:53 से परथ 09:20 तक रहेगा
दिशाशूल :-
उत्तर दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो दूध पीकर यात्रा कर सकते है
चौघड़िया मुहूर्त :-
दिन का चौघड़िया
प्रातः 05:25 से 07:08 तक लाभ का
प्रातः 07:08 से 08:52 तक अमृत का
प्रातः 08:52 से 10:35 तक काल का
प्रातः 10:35 से 12:19 तक शुभ का
दोपहर 12:19 से 02:02 तक रोग का
दोपहर 02:02 से 03:46 तक उद्वेग का
दोपहर बाद 03:46 से 05:29 तक चर का
सायं 05:29 से 07:12 तक लाभ का चौघड़िया रहेगा
रात का चौघड़िया
सायं 07:12 से 08:29 तक उद्वेग का
रात्रि 08:29 से 09:45 तक शुभ का
रात्रि 09:45 से 11:02 तक अमृत का
रात्रि 11:02 से 12:18 तक चर का
अधोरात्रि 12:18 से 01:35 तक रोग का
रात्रि 01:35 से 02:51 तक काल का
प्रातः (कल) 02:51 से 04:08 तक लाभ का
प्रातः (कल) 04:08 से 05:24 तक उद्वेग का चौघड़िया रहेगा
आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-
समय
पाया
नक्षत्र
राशि
जन्माक्षर
02:51 am
से
08:13 am
स्वर्ण मृगशिरा
1
चरण वृष वे
08:14 am
से
01:36 pm
स्वर्ण मृगशिरा
2
चरण वृष वो
01:37 pm
से
07:02 pm
स्वर्ण मृगशिरा
3
चरण मिथुन का
07:03 pm
से
12:29 am
(29 मई)स्वर्ण मृगशिरा
4
चरण मिथुन की
समय | पाया | नक्षत्र | राशि | जन्माक्षर |
---|---|---|---|---|
02:51 am से 08:13 am | स्वर्ण | मृगशिरा 1 चरण | वृष | वे |
08:14 am से 01:36 pm | स्वर्ण | मृगशिरा 2 चरण | वृष | वो |
01:37 pm से 07:02 pm | स्वर्ण | मृगशिरा 3 चरण | मिथुन | का |
07:03 pm से 12:29 am (29 मई) | स्वर्ण | मृगशिरा 4 चरण | मिथुन | की |
आज विशेष :-
द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्माजी को पूजा-अर्चना करके उनको खुश करके उनका आशीर्वाद पाना चाहिए, जिससे मनुष्य को अपने जीवन धन-सम्पति मिल सके।
मृगशिरा नक्षत्र में चंद्रमा का गंध फल फूल धूप व दीप आदि से पूजन करें तो सुख-सौभाग्य और संपत्ति मिलती है और वर्चस्व बढ़ता है
आज धृति योग में हलुआ दान करना शुभ फलदायी होता है
आज बुधवार को बुध भगवान की मूर्ति का गंध पुष्पादि से पूजन करें सफेद वस्त्र धारण कर गुड़ दही और भात का नैवेघ अर्पण कर उन्ही पदार्थो का ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो बुध जनित दोष दूर होते है
* बुधवार व्रत की कथा *
* पूजा विधि :-
ग्रह शान्ति तथा सर्व-सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए । इस व्रत मे रात दिन में एक बार भोजन ही करना चाहिए । इस व्रत के समय हरी वस्तुओ का उपयोग करना श्रेष्ठ है । इस व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धुप, बेल-पत्र आदि से करना चाहिए।साथ ही कथा सुन | कर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए। बीच मे नही जाना चाहिए ।
* कथा प्रारम्म :-
एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपनी ससुराल गया। वहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद सास-ससुर से विदा करने के लिए कहा। किन्तु सब ने कहा कि आज बुधवार है आज के दिन गमन नही करते है । वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना ओर हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। रहा मे उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति को कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है।
तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया । जैसे ही वह पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठकि अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा मे वह व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ मे बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति बोला यह मेरी पत्नी है। मै अभी-अभी सुसराल से विदा करा कर ला रहा हूं।
वे दोनो व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे । स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है ? तब पत्नी शान्त ही रही क्योकि दोनो एक जैसे थे वह किसे अपना पति कहे । वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे परमेश्वर यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नही करना था । तूने किसी की बात नही मानी । यह सब लीला बुधदेव भगवान की है।
उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी । तब बुधदेव जी अनतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनो पति पत्नि नियमपूर्वक करने लगे । जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई दोष नही लगता है, उसको सर्व प्रकार से सुखो की प्राप्ति होती है
आज विशेष :-
द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्माजी को पूजा-अर्चना करके उनको खुश करके उनका आशीर्वाद पाना चाहिए, जिससे मनुष्य को अपने जीवन धन-सम्पति मिल सके।
मृगशिरा नक्षत्र में चंद्रमा का गंध फल फूल धूप व दीप आदि से पूजन करें तो सुख-सौभाग्य और संपत्ति मिलती है और वर्चस्व बढ़ता है
आज धृति योग में हलुआ दान करना शुभ फलदायी होता है
आज बुधवार को बुध भगवान की मूर्ति का गंध पुष्पादि से पूजन करें सफेद वस्त्र धारण कर गुड़ दही और भात का नैवेघ अर्पण कर उन्ही पदार्थो का ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो बुध जनित दोष दूर होते है
* बुधवार व्रत की कथा *
* पूजा विधि :-
ग्रह शान्ति तथा सर्व-सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए । इस व्रत मे रात दिन में एक बार भोजन ही करना चाहिए । इस व्रत के समय हरी वस्तुओ का उपयोग करना श्रेष्ठ है । इस व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धुप, बेल-पत्र आदि से करना चाहिए।साथ ही कथा सुन | कर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए। बीच मे नही जाना चाहिए ।
* कथा प्रारम्म :-
एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपनी ससुराल गया। वहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद सास-ससुर से विदा करने के लिए कहा। किन्तु सब ने कहा कि आज बुधवार है आज के दिन गमन नही करते है । वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना ओर हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। रहा मे उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति को कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है।
तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया । जैसे ही वह पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठकि अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा मे वह व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ मे बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति बोला यह मेरी पत्नी है। मै अभी-अभी सुसराल से विदा करा कर ला रहा हूं।
वे दोनो व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे । स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है ? तब पत्नी शान्त ही रही क्योकि दोनो एक जैसे थे वह किसे अपना पति कहे । वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे परमेश्वर यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नही करना था । तूने किसी की बात नही मानी । यह सब लीला बुधदेव भगवान की है।
उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी । तब बुधदेव जी अनतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनो पति पत्नि नियमपूर्वक करने लगे । जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई दोष नही लगता है, उसको सर्व प्रकार से सुखो की प्राप्ति होती है
नोट :- दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है
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