दिनांक : 29 अप्रैल 2025

दिनांक : 29 अप्रैल 2025

आज का पंचांग   


सूर्योदय का समय : प्रातः 05:42

सूर्यास्त का समय : सायं 06:55

 

चंद्रोदय का समय : प्रातः 06:29

चंद्रास्त का समय : रात्रि 09:03


तिथि संवत :-

दिनांक - 29 अप्रैल 2025

मास - वैशाख

पक्ष - शुक्ल पक्ष

तिथि - द्वितीया मंगलवार सायं 05:31 तक रहेगी

अयन -  सूर्य उत्तरायण

ऋतु -  वसन्त ऋतु

विक्रम संवत - 2082

शाके संवत - 1947

सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-

नक्षत्र - कृत्तिका नक्षत्र सायं 06:47 तक रहेगा इसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा

योग - सौभाग्य योग दोपहर 03:54 तक रहेगा इसके बाद शोभन योग रहेगा

करण - बालव करण प्रातः 07:19 तक रहेगा इसके बाद कौलव करण रहेगा

ग्रह विचार :-

सूर्यग्रह - मेष

चंद्रग्रह - वृष

मंगलग्रह - कर्क

बुधग्रह - मीन

गुरूग्रह - वृष

शुक्रग्रह - मीन

शनिग्रह - मीन

राहु - मीन

केतु - कन्या राशि में स्थित है

* शुभ समय *

अभिजित मुहूर्त :-

प्रातः 11:52 से दोपहर 12:45 तक  रहेगा

त्रिपुष्कर योग :-

प्रातः 05:42 से सायं 05:31 तक  रहेगा

सर्वार्थ सिद्धि योग :-

प्रातः 05:42 से सायं 06:47 तक  रहेगा

विजय मुहूर्त :-

दोपहर 02:31 से दोपहर 03:24 तक  रहेगा

गोधूलि मुहूर्त :-

सायं 06:54 से सायं 07:16 तक  रहेगा

निशिता मुहूर्त :-

रात्रि 11:57 से रात्रि 12:40 तक  रहेगा

ब्रह्म मुहूर्त :-

प्रातः 04:16 से प्रातः 04:59 तक रहेगा


* अशुभ समय * 

राहुकाल :-

दोपहर 03:37 से सायं 05:16 तक  रहेगा

गुलिक काल :-

दोपहर 12:19 से दोपहर 01:58 तक  रहेगा

यमगण्ड :-

प्रातः 09:00 से प्रातः 10:39 तक  रहेगा

दूमुहूर्त :-

प्रातः 08:21 से प्रातः 09:14 तक  रहेगा

रात्रि 11:14 से रात्रि 11:57 तक  रहेगा

वर्ज्य :-

प्रातः 08:12 से प्रातः 09:37 तक  रहेगा

दिशाशूल :-

उत्तर दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो दूध  पीकर यात्रा कर सकते है

चौघड़िया मुहूर्त :-

दिन का चौघड़िया 

प्रातः 05:42 से 07:21 तक रोग का

प्रातः 07:21 से 09:00 तक उद्वेग का

प्रातः 09:00 से 10:39 तक चर का

प्रातः 10:39 से 12:19 तक लाभ का

दोपहर 12:19 से 01:58 तक अमृत का

दोपहर 01:58 से 03:37 तक काल का

दोपहर बाद 03:37 से 05:16 तक शुभ का

सायं 05:16 से 06:55 तक रोग का चौघड़िया  रहेगा


रात का चौघड़िया

सायं 06:55 से 08:16 तक काल का

रात्रि 08:16 से 09:37 तक लाभ का

रात्रि 09:37 से 10:57 तक उद्वेग का

रात्रि 10:57 से 12:18 तक शुभ का

अधोरात्रि 12:18 से 01:39 तक अमृत का

रात्रि 01:39 से 03:00 तक चर का

प्रातः (कल) 03:00 से 04:20 तक रोग का

प्रातः (कल) 04:20 से 05:41 तक काल का चौघड़िया रहेगा।

 आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-  


समय
  पाया  
  नक्षत्र  
  राशि  
जन्माक्षर

02:54 am
से
08:10 am

स्वर्णकृत्तिका
2
चरण
वृष

08:11 am
से
01:28 pm

स्वर्णकृत्तिका
3
चरण
वृष
 
01:29 pm 
से
 06:47 pm
 
स्वर्ण कृत्तिका
4
चरण
 वृष

06:48 pm 
से
12:07 am

स्वर्णरोहिणी
1
चरण
वृष

12:08 am
से
05:29 am
(30 
अप्रैल)

स्वर्णरोहिणी
2
चरण
वृषवा


आज विशेष :-

द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्माजी को पूजा-अर्चना करके उनको खुश करके उनका आशीर्वाद पाना चाहिए, जिससे मनुष्य को अपने जीवन धन-सम्पति मिल सके।

कृत्तिका नक्षत्र में अग्नि देव का उत्तम प्रकार के गंध फल फूल दूध दही भोज्य धूप व दीप आदि से पूजन कर व्रत करें तो इच्छित सफलता मिलती है

आज सौभाग्य योग में गन्ना दान करना शुभ फलदायी होता है 

आज मंगलवार को तांबे के पात्र में गुड़ भरकर प्रत्येक मंगलवार को दान करने से मंगल जनित दोष दूर होते है और वर्षपर्यत ऐसा करने से गोदान का फल मिलता है


* मंगलवार  व्रत की कथा *

पूजा विधि :-

सर्व सुखरक्त विकारराज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत उत्तम है । इस व्रत मे गेहूँ ओर गुड़ का भोजन करना चाहिए। भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना ठीक है। व्रत 21 सप्ताह तक करे मंगलवार के व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते है व्रत के पूजन के समय लाल पुष्पो को चढ़ावे ओर लाल वस्त्र धारण करे। अन्त मे हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए ।

कथा प्रारम्भ :-

एक ब्राह्मण दम्पति के कोई सन्तान नही थीजिसके कारण पति-पत्नि दु:खी थे। वह ब्राह्मण हनुमान जी की पुजा हेतु वन चला गया। वह पुजा के साथ महावीर जी से एक पुत्र की प्राप्ति के लिए कामना करने प्रकट किया करता था। घर पर उसकी पत्नि मंगलवार व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया करती थी। मंगलवार के दिन व्रत के अन्त भोजन ग्रहण करती थी। मंगलवार के दिन व्रत के अंत भोजन बनाकर हनुमान जी को भोग लगाने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करती थी। 

एक बार कोई व्रत आ गया। जिसके कारण ब्राह्मणी भोजन न बना सकी तब हनुमान जी का भोग भी नहीं लगाया। वह अपने मन मे ऐसा प्रण करके सो गई कि अब अगले मंगलवार के दिन तो उसे मूर्छा आ गई तब हनुमान जी उसकी लगन और निष्ठा को देखकर प्रसन्न हो गए। उन्होने उसे दर्शन दिया और कहा- "मैं तुमसे अति प्रसन्न हुँ। मै तुझको एक सुन्दर बालक देता हुँ। जो तेरी सेवा किया करेगा।" हनुमान जी बाल रूप मे उसको दर्शन देकर अंतर्धान हो गए।

 सुन्दर बालक पाकर ब्राह्मणी अति प्रसन्न हुई। ब्राह्मणी ने बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय पश्चात् ब्राह्मण वन से लौटकर आया । प्रसन्नचित सुन्दर बालक को घर मे,कीड़ा करते देखकर पत्नी से बोला- यह बालक कौन है ?" पत्नी ने कहा- मंगलवार के व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने दर्शन देकर मुझे बालक दिया है।" पत्नी की बात छल से भरी जान उसने सोचा यह कुल्टा व्यभिचारिणी अपनी कुलषता छुपाने के लिए बात बना रही है। 

एक दिन उसका पति कुएँ पर पानी भरने चला तो पत्नी ने कहा मंगल को साथ ले जाओ। वह मंगल को साथ ले चला और उसको कुएँ मे डालकर वापिस पानी भरकर घर आया तब पत्नी ने पूछा मंगल कहाँ है तभी मंगल मुस्कराता हुआ घर आ गया। उसको देख ब्राह्मण आश्चर्य चकित हुआ रात्रि को हनुमान जी ने उसको स्वप्न मे कहा- यह बालक मैने दिया है तुम पत्नी को कुल्टा क्यो कहते हो।” पति यह जानकर हर्षित हुआ। फिर पति-पत्नि मंगलवार का व्रत रख अपना जीवन आनन्दपूर्वक व्यतीत करने लगे। 

जो मनुष्य मंगलवार के व्रत को नियम से करता है अथवा इस कथा को पढ़ता ओर सुनता है ।उसके हनुमान जी की कृपा से सब कष्ट दूर होकर सर्व सुख प्राप्त होता है।   

नोट :-  दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है