दिनांक : 09 मई 2024
आज का पंचांग
सूर्योदय का समय : प्रातः 05:34
सूर्यास्त का समय : सायं 07:01
चंद्रोदय का समय : प्रातः 06:07
चंद्रास्त का समय : रात्रि 08:39
तिथि संवत :-
दिनांक - 09 मई 2024
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि - प्रतिपदा गुरुवार प्रातः 06:21 तक रहेगी
अयन - सूर्य उत्तरायण
ऋतु - वसन्त ऋतु
विक्रम संवत - 2081
शाके संवत - 1946
सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-
नक्षत्र - कृत्तिका नक्षत्र प्रातः 11:55 तक रहेगा इसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा
योग - शोभन योग दोपहर 02:42 तक रहेगा इसके बाद अतिगण्ड योग रहेगा
करण - बव करण प्रातः 06:21 तक रहेगा इसके बाद बालव करण रहेगा
ग्रह विचार :-
सूर्यग्रह - मेष
चंद्रग्रह - वृष
मंगलग्रह - मीन
बुधग्रह - मीन
गुरूग्रह - वृष
शुक्रग्रह - मेष
शनिग्रह - कुम्भ
राहु - मीन
केतु - कन्या राशि में स्थित है
* शुभ समय *
अभिजित मुहूर्त :-
प्रातः 11:51 से दोपहर 12:45 तक रहेगा
विजय मुहूर्त :-
दोपहर 02:32 से दोपहर 03:26 तक रहेगा
गोधूलि मुहूर्त :-
सायं 07:00 से सायं 07:21 तक रहेगा
निशिता मुहूर्त :-
रात्रि 11:56 से रात्रि 12:38 तक रहेगा
ब्रह्म मुहूर्त :-
प्रातः 04:10 से प्रातः 04:52 तक रहेगा
तिथि संवत :-
दिनांक - 09 मई 2024
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि - प्रतिपदा गुरुवार प्रातः 06:21 तक रहेगी
अयन - सूर्य उत्तरायण
ऋतु - वसन्त ऋतु
विक्रम संवत - 2081
शाके संवत - 1946
सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-
नक्षत्र - कृत्तिका नक्षत्र प्रातः 11:55 तक रहेगा इसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा
योग - शोभन योग दोपहर 02:42 तक रहेगा इसके बाद अतिगण्ड योग रहेगा
करण - बव करण प्रातः 06:21 तक रहेगा इसके बाद बालव करण रहेगा
ग्रह विचार :-
सूर्यग्रह - मेष
चंद्रग्रह - वृष
मंगलग्रह - मीन
बुधग्रह - मीन
गुरूग्रह - वृष
शुक्रग्रह - मेष
शनिग्रह - कुम्भ
राहु - मीन
केतु - कन्या राशि में स्थित है
* शुभ समय *
अभिजित मुहूर्त :-
प्रातः 11:51 से दोपहर 12:45 तक रहेगा
विजय मुहूर्त :-
दोपहर 02:32 से दोपहर 03:26 तक रहेगा
गोधूलि मुहूर्त :-
सायं 07:00 से सायं 07:21 तक रहेगा
निशिता मुहूर्त :-
रात्रि 11:56 से रात्रि 12:38 तक रहेगा
ब्रह्म मुहूर्त :-
प्रातः 04:10 से प्रातः 04:52 तक रहेगा
* अशुभ समय *
राहुकाल :-
दोपहर 01:59 से दोपहर 03:40 तक रहेगा
गुलिक काल :-
प्रातः 08:56 से प्रातः 10:37 तक रहेगा
यमगण्ड :-
प्रातः 05:34 से प्रातः 07:15 तक रहेगा
दूमुहूर्त :-
प्रातः 10:03 से प्रातः 10:57 तक रहेगा
दोपहर 03:26 से सायं 04:20 तक रहेगा
वर्ज्य :-
प्रातः 03:10 (10 मई) से प्रातः 04:41 तक रहेगा
दिशाशूल :-
दक्षिण दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो तिल,गुड़ या गुड़ के चावल खाकर यात्रा कर सकते है
चौघड़िया मुहूर्त :-
दिन का चौघड़िया
प्रातः 05:34 से 07:15 तक शुभ का
प्रातः 07:15 से 08:56 तक रोग का
प्रातः 08:56 से 10:37 तक उद्वेग का
प्रातः 10:37 से 12:18 तक चर का
दोपहर 12:18 से 01:59 तक लाभ का
दोपहर 01:59 से 03:40 तक अमृत का
दोपहर बाद 03:40 से 05:21 तक काल का
सायं 05:21 से 07:01 तक शुभ का चौघड़िया रहेगा
* अशुभ समय *
राहुकाल :-
दोपहर 01:59 से दोपहर 03:40 तक रहेगा
गुलिक काल :-
प्रातः 08:56 से प्रातः 10:37 तक रहेगा
यमगण्ड :-
प्रातः 05:34 से प्रातः 07:15 तक रहेगा
दूमुहूर्त :-
प्रातः 10:03 से प्रातः 10:57 तक रहेगा
दोपहर 03:26 से सायं 04:20 तक रहेगा
वर्ज्य :-
प्रातः 03:10 (10 मई) से प्रातः 04:41 तक रहेगा
दिशाशूल :-
दक्षिण दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो तिल,गुड़ या गुड़ के चावल खाकर यात्रा कर सकते है
चौघड़िया मुहूर्त :-
दिन का चौघड़िया
प्रातः 05:34 से 07:15 तक शुभ का
प्रातः 07:15 से 08:56 तक रोग का
प्रातः 08:56 से 10:37 तक उद्वेग का
प्रातः 10:37 से 12:18 तक चर का
दोपहर 12:18 से 01:59 तक लाभ का
दोपहर 01:59 से 03:40 तक अमृत का
दोपहर बाद 03:40 से 05:21 तक काल का
सायं 05:21 से 07:01 तक शुभ का चौघड़िया रहेगा
रात का चौघड़िया
सायं 07:01 से 08:20 तक अमृत का
रात्रि 08:20 से 09:39 तक चर का
रात्रि 09:39 से 10:58 तक रोग का
रात्रि 10:58 से 12:17 तक काल का
अधोरात्रि 12:17 से 01:36 तक लाभ का
रात्रि 01:36 से 02:55 तक उद्वेग का
प्रातः (कल) 02:55 से 04:14 तक शुभ का
प्रातः (कल) 04:14 से 05:33 तक अमृत का चौघड़िया रहेगा
आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-
समय
पाया
नक्षत्र
राशि
जन्माक्षर
12:42 am
से
06:17 am
स्वर्ण कृत्तिका
3
चरण वृष ऊ
06:18 am
से
11:55 am
स्वर्ण कृत्तिका
4
चरण वृष ए
11:56 am
से
05:35 pm
स्वर्ण रोहिणी
1
चरण वृष ओ
05:36 pm
से
11:17 pm
स्वर्ण रोहिणी
2
चरण वृष वा
11:18 pm
से
05:01 am
(10 मई)
स्वर्ण रोहिणी
3
चरण वृष वी
समय | पाया | नक्षत्र | राशि | जन्माक्षर |
---|---|---|---|---|
12:42 am से 06:17 am | स्वर्ण | कृत्तिका 3 चरण | वृष | ऊ |
06:18 am से 11:55 am | स्वर्ण | कृत्तिका 4 चरण | वृष | ए |
11:56 am से 05:35 pm | स्वर्ण | रोहिणी 1 चरण | वृष | ओ |
05:36 pm से 11:17 pm | स्वर्ण | रोहिणी 2 चरण | वृष | वा |
11:18 pm से 05:01 am (10 मई) | स्वर्ण | रोहिणी 3 चरण | वृष | वी |
आज विशेष :-
प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव की पूजा-आराधना करनी चाहिए। जिससे अग्नि देव खुश होकर मनुष्य को जीवन में खुशहाली प्रदान करे।
कृत्तिका नक्षत्र में अग्नि देव का उत्तम प्रकार के गंध फल फूल दूध दही भोज्य धूप व दीप आदि से पूजन कर व्रत करें तो इच्छित सफलता मिलती है
आज शोभन योग में जौ दान करना शुभ फलदायी होता है
गुरुवार को बृहस्पति भगवान का पीले गंध पुष्प पीतांबर से पूजन कर ब्राह्मणों को पीली गाय के घी में बनाए पीले धान्य के प्रदार्थो का भोजन कराकर स्वयं भोजन करें और ब्राह्मणों को दक्षिणा दे तो अनिष्ट दूर होती है तथा पारिवारिक सुख-समृध्दि मिलती है
* गुरुवार व्रत की कथा *
* पूजा विधि :-
इस दिन बृहस्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है । दिन में एक समय ही भोजन करें । पीले वस्त्र धारण करें ।भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए, नमक नही खाना चाहिए । पीले रंग के फुल, चने की दाल, पीले कपड़े तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए। पूजन के पश्चात् कथा सुननी चाहिए । इस व्रत को करने से बृहस्पति जी अति प्रसन्न होते है तथा धन और विद्या का लाभ होता है । स्त्रियो के लिए यह व्रत अति आवश्यक है । इस व्रत मे केले का पूजन होता है ।
* कथा प्रारम्भ :-
किसी गांव मे एक साहूकार रहता था, जिसके घर मे अनन, वस्त्र और धन किसी की कोई कमी नही थी, परन्तु उसकी स्त्री बहुत ही कृपण थी। किसी कसी भिक्षाथी को कुछ नही देती, सारे दिन घर के कामकाज मे लगी रहती एक समय एक साधु-महात्मा बृहस्पतिवार के दिन उसके द्वार पर आये और भिक्षा की याचना की । स्त्री उस समय घर के आंगन को लीप रही थी
इस कारण साधु महाराज से कहने लगी कि महाराज इस समय तो मै घर लीप रही हूँ आपको कुछ नही दे सकती, फिर किसी अवकाश समय आना । साधु महात्मा खाली हाथ चले गए। कुछ दिन के पश्चात् वही साधु महात्मा आए उसी तरह भिक्षा मांगी । साहूकारनी उस समय लड़के को खिला रही थी । कहने लगी- महाराज मै क्या करूँ अवकाश नही है, इसलिए आपको भिक्षा नही दे सकती ।
तीसरी बार महात्मा आए तो उसने उन्हे उसी तरह टालना चाहा परन्तु महात्मा जी कहने लगे कि यदि तुमको बिल्कुल ही अवकाश हो जाए तो क्या मुझको दोगी ? साहुकारनी कहने लगी कि हाँ महाराज यदि ऐसा हो जाए तो आपकी बड़ी कृपा होगी । साधु- महात्मा जी कहने लगे कि अच्छा मै एक उपाय बताता हूँ। तुम बृहस्पतिवार को दिन चढ़े उठो और सारे घर मे झाडू लगा कर कूड़ा एक कोने में जमा करके रख दो । घर मे चौका इत्यादि मन लगाओ। फिर स्नान आदि करके घर वालो से कह दो, उस दिन सब हजामत अवश्य बनवाये ।
रसोई बनाकर चूल्हे के पीछे रखा करो, सामने कभी रक्खो । सांयकाल को अन्धेरा होने के बाद दीपक जलाओ तथा बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र मत धारण करो, न पीले रंग की चीजो का भोजन करो । यदि ऐसा करोगे तो तुमको घर का कोई काम नही करना पड़ेगा । साहूकारनी ने ऐसा ही किया । बृहस्पतिवार को दिन चढे उठी, झाडू लगाकर कूड़े को घर के एक कोने में जमा करके रख दिया । पुरूषो ने हजामत बनवाई । भोजन बनवाकर चूल्हे के पीछे रखा ।
वह सब बृहस्पतिवारो को ऐसा ही करती रही । अब कुछ काल : बाद उसके घर मे खाने को दाना न रहा । थोड़े दिनो मे महात्मा फिर आए और भिक्षा मांगी परन्तु सेठानी ने कहा महाराज मेरे घर मे खाने को अन्न् नही है, आपको क्या दे सकती हूँ । तब महात्मा ने कहा कि जब तुम्हारे घर मे सब कुछ था तब भी कुछ नही देती थी। अब पूरा-पूरा अवकाश है तब भी कुछ नही दे रही हो, तुम क्या चाहती हो वह कहो ?
तब सेठानी ने हाथ जोड़ कर कहा की महाराज अब कोई ऐसा उपाय बताओ कि मेरे पहले जैसा धन-धान्य हो जाय । अब मै प्रतिज्ञा करती हूँ कि अवश्यमेव आप जैसा कहेगे वैसा ही करूंगी । तब महात्मा जी बोले - "बृहस्पतिवार को प्रात: काल उठकर स्नानादि से निवृत हो घर को गौ के गोबर से लीपो तथा घर के पुरुष हजामत न बनवाये ।
भूखो को अन्न-जल देती रहा करो । ठीक सांय काल दीपक जलाओ । यदि ऐसा करोगी तो तुम्हारी सब मनोकामनाएं भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से पूर्ण होगी। सेठानी ने ऐसा ही किया और उसके घर मे धन-धान्य वैसा ही होगा जैसा पहले था । इस प्रकार भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से अनेक प्रकार के सुख भोगकर दीर्घकाल तक जीवित रही !
आज विशेष :-
प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव की पूजा-आराधना करनी चाहिए। जिससे अग्नि देव खुश होकर मनुष्य को जीवन में खुशहाली प्रदान करे।
कृत्तिका नक्षत्र में अग्नि देव का उत्तम प्रकार के गंध फल फूल दूध दही भोज्य धूप व दीप आदि से पूजन कर व्रत करें तो इच्छित सफलता मिलती है
आज शोभन योग में जौ दान करना शुभ फलदायी होता है
गुरुवार को बृहस्पति भगवान का पीले गंध पुष्प पीतांबर से पूजन कर ब्राह्मणों को पीली गाय के घी में बनाए पीले धान्य के प्रदार्थो का भोजन कराकर स्वयं भोजन करें और ब्राह्मणों को दक्षिणा दे तो अनिष्ट दूर होती है तथा पारिवारिक सुख-समृध्दि मिलती है
* गुरुवार व्रत की कथा *
* पूजा विधि :-
इस दिन बृहस्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है । दिन में एक समय ही भोजन करें । पीले वस्त्र धारण करें ।भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए, नमक नही खाना चाहिए । पीले रंग के फुल, चने की दाल, पीले कपड़े तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए। पूजन के पश्चात् कथा सुननी चाहिए । इस व्रत को करने से बृहस्पति जी अति प्रसन्न होते है तथा धन और विद्या का लाभ होता है । स्त्रियो के लिए यह व्रत अति आवश्यक है । इस व्रत मे केले का पूजन होता है ।
* कथा प्रारम्भ :-
किसी गांव मे एक साहूकार रहता था, जिसके घर मे अनन, वस्त्र और धन किसी की कोई कमी नही थी, परन्तु उसकी स्त्री बहुत ही कृपण थी। किसी कसी भिक्षाथी को कुछ नही देती, सारे दिन घर के कामकाज मे लगी रहती एक समय एक साधु-महात्मा बृहस्पतिवार के दिन उसके द्वार पर आये और भिक्षा की याचना की । स्त्री उस समय घर के आंगन को लीप रही थी
इस कारण साधु महाराज से कहने लगी कि महाराज इस समय तो मै घर लीप रही हूँ आपको कुछ नही दे सकती, फिर किसी अवकाश समय आना । साधु महात्मा खाली हाथ चले गए। कुछ दिन के पश्चात् वही साधु महात्मा आए उसी तरह भिक्षा मांगी । साहूकारनी उस समय लड़के को खिला रही थी । कहने लगी- महाराज मै क्या करूँ अवकाश नही है, इसलिए आपको भिक्षा नही दे सकती ।
तीसरी बार महात्मा आए तो उसने उन्हे उसी तरह टालना चाहा परन्तु महात्मा जी कहने लगे कि यदि तुमको बिल्कुल ही अवकाश हो जाए तो क्या मुझको दोगी ? साहुकारनी कहने लगी कि हाँ महाराज यदि ऐसा हो जाए तो आपकी बड़ी कृपा होगी । साधु- महात्मा जी कहने लगे कि अच्छा मै एक उपाय बताता हूँ। तुम बृहस्पतिवार को दिन चढ़े उठो और सारे घर मे झाडू लगा कर कूड़ा एक कोने में जमा करके रख दो । घर मे चौका इत्यादि मन लगाओ। फिर स्नान आदि करके घर वालो से कह दो, उस दिन सब हजामत अवश्य बनवाये ।
रसोई बनाकर चूल्हे के पीछे रखा करो, सामने कभी रक्खो । सांयकाल को अन्धेरा होने के बाद दीपक जलाओ तथा बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र मत धारण करो, न पीले रंग की चीजो का भोजन करो । यदि ऐसा करोगे तो तुमको घर का कोई काम नही करना पड़ेगा । साहूकारनी ने ऐसा ही किया । बृहस्पतिवार को दिन चढे उठी, झाडू लगाकर कूड़े को घर के एक कोने में जमा करके रख दिया । पुरूषो ने हजामत बनवाई । भोजन बनवाकर चूल्हे के पीछे रखा ।
वह सब बृहस्पतिवारो को ऐसा ही करती रही । अब कुछ काल : बाद उसके घर मे खाने को दाना न रहा । थोड़े दिनो मे महात्मा फिर आए और भिक्षा मांगी परन्तु सेठानी ने कहा महाराज मेरे घर मे खाने को अन्न् नही है, आपको क्या दे सकती हूँ । तब महात्मा ने कहा कि जब तुम्हारे घर मे सब कुछ था तब भी कुछ नही देती थी। अब पूरा-पूरा अवकाश है तब भी कुछ नही दे रही हो, तुम क्या चाहती हो वह कहो ?
तब सेठानी ने हाथ जोड़ कर कहा की महाराज अब कोई ऐसा उपाय बताओ कि मेरे पहले जैसा धन-धान्य हो जाय । अब मै प्रतिज्ञा करती हूँ कि अवश्यमेव आप जैसा कहेगे वैसा ही करूंगी । तब महात्मा जी बोले - "बृहस्पतिवार को प्रात: काल उठकर स्नानादि से निवृत हो घर को गौ के गोबर से लीपो तथा घर के पुरुष हजामत न बनवाये ।
भूखो को अन्न-जल देती रहा करो । ठीक सांय काल दीपक जलाओ । यदि ऐसा करोगी तो तुम्हारी सब मनोकामनाएं भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से पूर्ण होगी। सेठानी ने ऐसा ही किया और उसके घर मे धन-धान्य वैसा ही होगा जैसा पहले था । इस प्रकार भगवान् बृहस्पति जी की कृपा से अनेक प्रकार के सुख भोगकर दीर्घकाल तक जीवित रही !
नोट :- दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है
नोट :- दैनिक पंचांग हर सुबह 05:00 बजे से पहले या तक अपडेट किया जाता है